( तर्ज -पक्षीणी प्रभाती ० )
मेरे प्रिय श्याम बन्सी के बजैया ।
चलावे चलादे मोरी ,
अडी खडी नैया ॥टेक ॥
काम क्रोध मोह मोरे ,
नैया को छेडे ।
नीत रीत तोडे मेरी माया ॥ १ ॥
भरोसा तुम्हारा लेके , बीच नाव छोडी ।
भेद - छेद जोडी , मोरी काया ॥ २ ॥
मान प्रतिष्ठा से मोरी , अडी नाव घेरी ।
इसलिये में तो , चरणों में आया ॥३ ॥
कहे दास तुकड्या , नाम है के तेरा वह ।
गरुड को सँवारे , डार दे छाया ॥ ४ ॥
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